चलने को तो मैं बहुत दूर तक जा सकता हूँ पर अपनो का साथ छूट जाने का डर हे ...
बनाने को तो मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ ....पर जो बना हे उसको भुलाने का डर हे .....
दोस्तों की कमी नहीं इस दुनिया मैं मुझे .....पर जो हे ..उनके रूठ जाने का डर हे ....
आसमान की उचाइयों तक तो मैं भी पहुँच सकता हूँ लेकिन ...धरती की माटी के छूट जाने का डर हे .....